Thursday, August 18, 2011

भयभीत प्रसन्नता

उछलती उत्साहित सहमतियाँ
साहसपूर्ण संभावनाओं का बेहिचक आलिंगन
कुल्मुलाती उत्कंठा पाती सुखद सुरक्षित आमंत्रण
अपने छुद्र अस्तित्व से उठ कर
कुछ ब्रह्मांडीय छूने का अन्गढ़ा सा अहसास
और स्वच्छ जीवन शक्ति का निर्मल उल्लास
सही है
समय का दर्पण
सही है
जन भावनाओं का मूर्तीकरण
पर संशय क्यों
और कुछ भय भी

(अन्ना आन्दोलन के दौरान )

Wednesday, August 3, 2011

सुस्त आहें

अय्याश लम्हों की कुछ सुस्त आहें
एक अल्हड़ सी प्यास, एक अचकचाती सी फ़िक्र
फुर्सत का आरामदेह नशा उकेरता
उछाह भरे शुन्य मैं नई टीसें
उदासी के धंसते दरिया में खींचता
खालीपन के कसीदे