अल्हड़ हवा से सजे थे
बातें शिकायतें और वादे,
फिर क्यों फैल गया
चुप्पी का बुखार
चुप्पी की खनकती ख़ामोशी
घुलती एक सवाल सा बन
नशीले इंतज़ार सा ख़ालीपन
ये दूरी ये ख़ामोशी
ये सवाल और ये ख़ालीपन
क्या ख़ूब है तुम्हारी ये चुप्पी भी
कई तुम मिल जाते हो
तुम्हारे इस न होने में
23 Nov, 2017
बातें शिकायतें और वादे,
फिर क्यों फैल गया
चुप्पी का बुखार
चुप्पी की खनकती ख़ामोशी
घुलती एक सवाल सा बन
नशीले इंतज़ार सा ख़ालीपन
ये दूरी ये ख़ामोशी
ये सवाल और ये ख़ालीपन
क्या ख़ूब है तुम्हारी ये चुप्पी भी
कई तुम मिल जाते हो
तुम्हारे इस न होने में
23 Nov, 2017