Sunday, October 16, 2011

चलो कुछ करें

उहापोह की झील में हिचकोले खाती महत्वाकान्छा
उकता देने वाली बहस से लम्बे इस जीवन का
चलो कुछ करें
कुछ पाप, कुछ संशय, कुछ अँधा जूनून
हसरतो के सरकते प्यालों में उकेरे हुए इन सपनो का
चलो कुछ करें
सहमा अधखुला अचकचाता सा इच्छाओं का झुरमुट
अँधेरे से पसरे इस सन्नाटे का
चलो कुछ करें
चौकीदार की रात सी लम्बी इस दिनचर्या में
इस पिटी हुई मादक रसिकता का
चलो कुछ करें