अजीब है तुम्हारा तसव्वुर
धुओं से बने कसीदों सा
जिनका तर्जुमा करना ही तो मेरा होना है।
धुओं से बने कसीदों सा
जिनका तर्जुमा करना ही तो मेरा होना है।
उलझी बहस से हैं वो तुम्हारे रस्ते
वो खड़ा मैं उन रस्तों पर
अपने ही इंतज़ार में
वो खड़ा मैं उन रस्तों पर
अपने ही इंतज़ार में
सूखी ठंडी आग सी वो तुम्हारी बेदिली
ख़ाक न हो सके
हमारी बेकसी
ख़ाक न हो सके
हमारी बेकसी
वो साझा शामें शिकायतों की
इन शिकायतों की उलझनों से ही तो उभरती है
अफवाह मेरी जिंदगी की
इन शिकायतों की उलझनों से ही तो उभरती है
अफवाह मेरी जिंदगी की
रूठा सा खालीपन
उसमे डूबती उतरती मेरी प्यास
छीलती तुम्हारी मौजूदगी
उसमे डूबती उतरती मेरी प्यास
छीलती तुम्हारी मौजूदगी
अजीब है तसव्वुर तुम्हारा।