Saturday, August 18, 2018

कभी न थमने वाली अपूर्णता

एक ठहरी हुई सी अनंत प्यास
उसमें झूलते कुछ बिना जिए सपने
अमूर्त क़ैद 


एक कभी न थमने वाली अपूर्णता की
तरस
जो सिलती एक बेआवाज़ गूँज
बे पता आवारा हसरतें 


गर्म हवा से बनी सुनसान सड़कों सी
अजब मौजूदगी
बड़बड़ाती सोच ढलते सकून की 


ये उत्सव है ख़ाली दरारों का
ये संगीत है चुभते ख़ाली पन का
इसमें थिरकता मौत का अट्टहास ही तो है
सनद जीवन के कंगाल पूरेपन की


6 July, 2018