Tuesday, July 26, 2016

बारिश की शाम

धुंध से बुना वो आलसी सा आसमान
एक दुसरे को भिगोते पेड़ और पानी
कुछ शरारत सोचती सी दिल्ली
अपने सूखे पन से छील कर
कुछ शर्माती सी  आयतें उकेरता एक शहर

वो पल जो भीतर तक अमीर कर दे

आज फिर से दिल्ली में बारिश हो रही है।

Sunday, July 24, 2016

वो आदमकद उन्माद

वो एक ख्वाब है
जो रोज कई उमरों को बुनता है
एक उफनता बिखराव
जो जादू बन के हँसता है
एक अबूझ रिश्ता जो 
आज भी चौंकता है
अपने होने पर, फिर अपनी गहराई पर

खालिस आह्लाद
एक सांस लेता वैशिष्ट्य
वो आदमकद उन्माद
वो आदिम थिरक
मोहपाश जो
आत्मा की अनजानी परतों में इठलाता है
मतलब क्या ढूंढना
ऐसे आकर्षण तर्क के मोहताज नहीं होते।