काले सन्नाटों से बना
एक साँस लेता खालीपन
सुप्त शांत शून्य
पर है तो जीवन
सूखी प्यास से तर
हसरतों के ठूंठों से बना
उम्र का दरख्त
पर है तो जीवन
यादों के पिघलते दर्द
हताशाओं का बिखरता पागलपन
महत्वाकांक्षाओं के बहते बंजर
पर है तो जीवन
प्रश्नचिन्ह बन ताकते सपने
झीने वजन बुझते अरमानो के
तैर जाती है रोती सी चांदनी
पर है तो जीवन ही
ये शुष्क पुलिंदे पराजयों के
फुसफुसाते मर्सिये पलायन के
पर
उत्सव तो है
जिजीविषा लपकती है
सारे अंधेरों के रेशम
पठारों के संगीत
और लुटने के गीत
जीवन ही तो है.