Wednesday, May 9, 2018

जीवन ही तो है

काले सन्नाटों से बना 
एक साँस लेता खालीपन 
सुप्त शांत शून्य 
पर है तो जीवन 

सूखी प्यास से तर  
हसरतों के ठूंठों से बना 
उम्र का दरख्त 
पर है तो जीवन 

यादों के पिघलते दर्द 
हताशाओं का बिखरता पागलपन 
महत्वाकांक्षाओं के बहते बंजर 
पर है तो जीवन 

प्रश्नचिन्ह बन ताकते सपने 
झीने वजन बुझते अरमानो के  
तैर जाती है रोती सी चांदनी 
पर है तो जीवन ही 

ये शुष्क पुलिंदे पराजयों के 
फुसफुसाते मर्सिये पलायन के 
पर 
उत्सव तो है 
जिजीविषा लपकती है 
सारे अंधेरों के रेशम 
पठारों के  संगीत 
और लुटने के गीत 
जीवन ही तो है.