एक साझा ख़ामोशी
एक दूसरे के साथ डूब कर ख़ामोश हो जाना
आवाज़ोंऔर शोरों के बीच तैरते सन्नाटे से बुन लेना
कुछ ख़यालों से बने लिबास
एक खिलखिलाता बहाव चाहिए
एक ग़ैरज़रूरी, बिना जोड़ा पर बेहद गहरे से जिया बहाव
ख़ामोशी गहरी होती जाती
जब वो बोलना छोड़ बाँधना शुरू कर दे
कुछ हासिल है अगर इस साँस लेते बही खाते का
तो वो है
इस आरामदेह ख़ामोशी में तली
मेरी तेरी उम्रें
वो सन्नाटा जो अचानक ही घेर गया था हमें
पसर गया था पुल बनके हमारे दरमियान
वो आज भी है मेरे होने में
एक ज़िंदा जादू बनके
30 Dec, 19