Monday, May 5, 2014

आज आंधी का "तुम आ गये हो" सुना

दिल की शफ्फाक तनी चादर पर
गिरा
एक गुदगुदा भारी सा पीला गेंदे का फूल
धप्प!!
चादर हलकी सी झूल गयी
उम्र हो चली है
अन्दर के झोलों
से वाकफियत बढने लगी है
अच्छा लगा
भीतर कहीं कुछ अभी भी धड़कता है
शुक्रिया
तुम आ गए हो
नूर आ गया है।