Sunday, March 13, 2016

कुछ ज्यादा मांगने का दिल है


मौसम ने खुमारी बिछा दी है
सन्नाटा तराश गया है रेशमी अकेलापन
गहरा घूँट लिया है
तुम्हें चाहने की कसक का
आज
कुछ ज्यादा मांगने का दिल है।

उजाले के एक सुर पर अटका था मन
उस सुर से खनका ख्वाब सा नशा
लरजता दर्द गुनगुना गया
अनगढ़े से कुछ शब्द
उस कविता की परछाई में
बस जाने का दिल है
आज
कुछ ज्यादा मांगने का दिल है।

कहते हैं
पाना प्यास को छोटा करता है
कहते हैं
सपनो को छुओ तो वो बदल जाते हैं
पर क्या करें...
आज
कुछ ज्यादा मांगने का दिल है।