मौसम ने खुमारी बिछा दी है
सन्नाटा तराश गया है रेशमी अकेलापन
गहरा घूँट लिया है
तुम्हें चाहने की कसक का
आज
कुछ ज्यादा मांगने का दिल है।
उस सुर से खनका ख्वाब सा नशा
लरजता दर्द गुनगुना गया
अनगढ़े से कुछ शब्द
उस कविता की परछाई में
बस जाने का दिल है
आज
कुछ ज्यादा मांगने का दिल है।
पाना प्यास को छोटा करता है
कहते हैं
सपनो को छुओ तो वो बदल जाते हैं
पर क्या करें...
आज
कुछ ज्यादा मांगने का दिल है।