Friday, June 10, 2011

विदा मकबूल फ़िदा

उन टीस से बिखरे रंगों का
वो उन्मादित वैराग्य
रसिक संवेदनाओं का छना हुआ तांडव
नटखट इठलाती रेखाओं के सम्राट
ऐ रंगीले जोकर
मर्यादित अति के जादूगर
शैली की मूर्तिमान परिभाषा
अवसादित कठमुल्लेपन की तिलमिलाहट
और तुम्हारा हलके से मुस्करा जाना
उन खूबसूरत यादों के टेंट पर
हमारी दुत्कारों के फुनगे
दुःख है, शर्म है
पर तुम्हारी कला है तो
उत्सव भी है.

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