धुंध से बुना वो आलसी सा आसमान एक दुसरे को भिगोते पेड़ और पानी कुछ शरारत सोचती सी दिल्ली अपने सूखे पन से छील कर कुछ शर्माती सी आयतें उकेरता एक शहर
वो पल जो भीतर तक अमीर कर दे
आज फिर से दिल्ली में बारिश हो रही है।
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