सहमी हसरतें
Thursday, March 31, 2022
एक साथ बदलते हुए भी वैसे ही रहना
एक साथ बदलते हुए भी वैसे ही रहना।
शायद पन्ने बदलते हैं बढ़ते हैं,
पर किताब वो ही रहती है ।
जैसे भूली रस्में कभी भी जाग खड़ी होती है
उम्र के उस आरामदेह दर्द की तरह,
पुरानी दोस्ती भी कोने में ऊँघता एक साझापन है,
वो कहीं नहीं जाता।
3 Jan, 2020
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