कुफ़्र का भी एक लुत्फ़ है
लुट जाने का भी एक मज़ा,
भरे हैं शराबों के समंदर
एक इस प्यास में मर जाने में
तुम एक पुल अधूरा टूटे आसमानों में
पूरी कायनात है हासिल तुम्हें न पाने में
रोशनी की छलकती परछाईं हो तुम मयखानों में
ड़ुबोय देता हैं नशा ये रेशमी तुमसे दूर जाने में
गुँधे हुए हैं करोड़ों वस्ल
एक तुमसे जुदा हो जाने में
घिर आते हो कई तुम
एक तुम्हारे न होने में।
हो सके तो बुन लेना कुछ हसीन नग़मे
हमने अपनी आहों के मेले बिछा रखे हैं
माना की तुम सुर हो मेरी सहमी हसरतों का
हमने भी खामोशी के बियबाँ बसा रखे हैं
अख़्तियार नहीं तुम्हारी बेरुख़ी पे
पर ख़ूब बादशाह हैं हम अपनी बेबसी के
चरचे बहुत हैं इस बेरुख़ी की गहराइयों के
लिए फिरते हैं हम भी कई मक़बरे ख़्वाबों की रानाइयों के
अगस्त 2, 2020
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