Thursday, March 31, 2022

दूरियाँ पुलों सी होती हैं

 

दूरियाँ पुलों सी होती हैं 

शब्दों के अर्थों सी 
एक भी
विलग भी 

सलाख़ों के बीच का ख़ालीपन 
बातों के बीच का मौन 
मेरे सच और तेरे सच के बीच का आसमान 
मेरे होने और तुम्हारे होने के बीच का ये अमीर ख़ालीपन
मेरे दर्द और मेरी कविता के बीच का रूठा सच 

ये दूरी ही तो बुनती हैं 
नज़दीकियों का 
मायनों का 
मिलने का 
वो खिलखिलाता बोलता सन्नाटा

दूरियाँ पुलों सी होती हैं। 

4 April, 2021

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