दूरियाँ पुलों सी होती हैं
शब्दों के अर्थों सी
एक भी
विलग भी
सलाख़ों के बीच का ख़ालीपन
बातों के बीच का मौन
मेरे सच और तेरे सच के बीच का आसमान
मेरे होने और तुम्हारे होने के बीच का ये अमीर ख़ालीपन
मेरे दर्द और मेरी कविता के बीच का रूठा सच
ये दूरी ही तो बुनती हैं
नज़दीकियों का
मायनों का
मिलने का
वो खिलखिलाता बोलता सन्नाटा
दूरियाँ पुलों सी होती हैं।
4 April, 2021
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