सच सच क्यों है
इसलिए क्योंकि मैं एक हद के बाद नापना बंद कर देता हूँ
डर भी डर इसलिए है
क्योंकि मैं एक हद के बाद बहादुर बनने को नहीं तैयार हूँ
दुख दुःख इसलिए है
क्योंकि एक हद के बाद मेरे दिल ने वो किवाड़ खोल दी है
ख़ुशी ख़ुशी क्यों है
क्योंकि वो आ खड़ी हुई है बस
मेरे सच , मेरे डर, मेरे दुःख और मेरी ख़ुशियाँ
सही है कि नापी जा सकती हैं , नकारी जा सकती हैं
आज तुम्हारे पास मेरा सारा इतिहास हैं
पर मेरा वजूद शायद अभी भी मेरा है
आज शायद तुम्हारे पास सारे सचों की किताब हैं
पर मुझे इजाज़त दो कि मैं अपने सच को ख़ुद खोजूँ
शायद तुम्हारे पास होंगे और भी माफ़िक़ मौक़े डरने के
मेरे दिल को हक़ है मेरा होने का
क्या हो नहीं सकता की की मेरे डर का पोस्टमोर्टम न हो
क्या मेरी ख़ुशी की एक बूँद अपने में अमीर नहीं हो सकती
क्या मेरा दुःख सारे दुःखों से अलग नहीं हो सकता
मेरा प्रेम मेरा है
शायद नहीं है जवाबदेह तुम्हारी नफ़रत के मक़बरे में
एक बात बोलूँ
सुनोगे
दिलों की बातें दिलों से समझी जाती हैं
बही खातों से तो हिसाब होते हैं
2 नवंबर 2020
No comments:
Post a Comment