Thursday, March 31, 2022

साथ

 

साथ
साँस लेते उजालों से बनी
नींद की नीली झील में
एक आराम सा उबारता अपनापन

साथ
गुनाह की सी एक लज्जत
सन्नाटे की गद्देदार गोद सा
संगीत  एक टीस भरे चैन सा

तुमको जब देखता हूँ....

एक उम्र से तराशा साथ
एक झिझकते समझौते सा ताकतवर
एक रोज़मर्रा  तिलिस्म सा आरामदेह
एक ज़िंदा खनकता ख़्वाब
एक आदत जो रोज़ चौंकाती है

तो सोचता हूँ

ये साथ
मेरे बहुत क़रीब है
ज़रूरी है 
मेरे होने की शर्त सा 

27 April, 2021

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