तुम्हारे न होने से लीपा हुआ
मेरा होना,
पिघलता उजड़ता
स्मृति का पिंजर,
यादों के चिथड़े बटोरती
मेरे चैन की मृगतृष्णा।
शोक होता नहीं,
बस जाता है
हड्डियों में, कपड़ों में, किवाड़ों में
एक साथी की तरह
कई बार एक चैन भरी गोद सा
आप तो हो नहीं
आपके शोक का ही सहारा
इतना गहरापन तो
आपकी तस्वीर में
आपके शोक में भी है
रहो मेरे साथ
चाहे न होने का डंक बन कर ही ।
बहुत दिन हुए तुम्हें सोच रोया नहीं
क्यों लगता है मुझे कि पूरा जिया नहीं
तुमको भूलना अपनी लज्जत खोना सा है
दिल का एक कोना काठ का हुआ सा है
इतना तो पता था की कुछ नाशुकरे हैं हम
क्या ख़ुद के भी इतने बड़े दुश्मन हुए हैं हम
मन नहीं है तुम्हारे बिना जीने की आदत
डालें
27 May 2020
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